बिलासपुर

कागज का लॉलीपॉप देकर क्या फिर से सत्ता हथियाने का प्रयास है? कागज का फोटो खींचने पर भयभीत क्यों? कागज के जुमले से आशीर्वाद पैनल को सत्ता में बैठाने की चाल। बिलासपुर प्रेस क्लब चुनाव में भूमिहीनों को मिला कागज का जुमला।

बिलासपुर– दो साल प्रेस क्लब के अध्यक्ष और उससे पहले गृह निर्माण समिति के डायरेक्टर का पद संभालने वाले इरशाद अली ने एक बार फिर से कागज दिखाकर सत्ता हथियाने की चाल चली। दरअसल, बिलासपुर प्रेस क्लब चुनाव के दौरान आज सर्किट हाउस में भूमिहीन पत्रकारों की बैठक हुई, जिसमें पूर्व अध्यक्ष इरशाद अली ने चहेतो की चिल्लमचोट के बीच एक कागज लहराकर दिखाया।

लेकिन उससे पहले उन्होंने उस कागज की फोटो और वीडियो लेने से मना किया। सवाल उठता है – ऐसा क्यों किया? इसका जवाब उन्होंने नहीं दिया और न ही पत्रकारों के सवालों का जवाब देना ज़रूरी समझा।

जिस भूमिहीन आंदोलन के चलते सत्ता का सुख इरशाद अली को मिला, उन्हीं की मांगों को कागज दिखाकर एहसास दिलाया गया कि सत्ता एक बार उनके पैनल को दिया जाए। जबकि 2023 में एक निजी होटल में हुई मीटिंग के दौरान उन्होंने दहाड़ मारकर वादा किया था कि उन्होंने जमीन देख रखी है और चुनाव खत्म होते ही जल्द से जल्द जमीन उपलब्ध कराई जाएगी।

भूमिहीन आंदोलन को हाइजैक कर इरशाद अली एंड टीम ने आंदोलनरत साथियों को ठेंगा दिखाते हुए बैक डोर से अपने चपाचप लोगों को गृह निर्माण समिति का सदस्य बना दिया। लेकिन आंदोलन खड़ा करने वालों ने जब जवाब मांगा तो वही लोग गुर्राने लगे।

जमीन तो आई नहीं और चुनाव आ गया। मजबूरी यह भी थी कि अब सत्ता छोड़नी पड़ेगी। लेकिन पैनल जीत जाए और दबदबा बना रहे, इसके लिए कहीं से एक कागज ले आए और उसे लहराकर दिखा दिया।

फिर क्या था – पत्रकारों का गुस्सा फूट पड़ा और सवालों की झड़ी लग गई। लेकिन सुनियोजित तरीके से चपाचप लोगों ने हो-हल्ला कर पत्रकारों की आवाज़ को दबाने की कोशिश की।

अब सवाल उठता है:

जिन पत्रकारों के लिए 2 साल तक कथित प्रयास करने वाले प्रेस क्लब अध्यक्ष इरशाद अली उन्हीं का कागज (दस्तावेज़) लेकर क्यों प्रकट हुए?

उस दस्तावेज़ को दिखाने और उसकी फोटो खींचने देने में उनकी सांसे क्यों फूलने लगीं?

दो साल पहले चिल्ला-चिल्ला कर भूमिहीन का मुद्दा उठाने वाले लोगों ने कभी जानकारी क्यों नहीं दी?

गृह निर्माण समिति की सूची सार्वजनिक करने में गाल फुलाने की ज़रूरत क्यों पड़ी?

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